क्या कलम दवात क्या
क्या है बात इत्तिफ़ाक़ क्या
गहना है अगर जन—धन
और लिबास बदन
तो मन की आयिने पर छाप क्या।
त
क्या कलम दवात क्या
क्या है बात इत्तिफ़ाक़ क्या
गहना है अगर जन—धन
और लिबास बदन
तो मन की आयिने पर छाप क्या।
त
रंग जब पानी से मिले
तो ऐसी कुछ गुफ़्तगू हुई
बयान दर्ज है पन्नों में इन
हसीन शाम जो शुरू हुई।
तरुण
i the seeker
i sought after solace
i looked for liberation
in the constructs of human race.
i have visited
i have seen
i have been
in the halls that sing of salvation.
i say this now
i know it too
i believe you too
in the mind is the temple of gods.
and the heart is it’s life.
तरुण