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छाप क्या

  • Writer: T
    T
  • Jul 26, 2021
  • 1 min read

क्या कलम दवात क्या

क्या है बात इत्तिफ़ाक़ क्या

गहना है अगर जन—धन

और लिबास बदन

तो मन की आयिने पर छाप क्या।


क्या मैं कवि हूँ?

ऐहसासों को पिरो कर कुछ जता सकता हूँ कभी पूरा कभी अधूरा शब्दों के उतार चढ़ाव में लय को पहचान सकता हूँ, कही बात की बात को बता सकता हूँ सुनी...

 
 
 
परछाई

एक परछाई मन ने बनायी रौशनी उसे सामने लायी, छिपे तो अंधेरों में ख़याल हैं कितने देखो अगर तो प्यार है उनमें, लकीरों की गुज़ारिश सामने आयी...

 
 
 

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​तरुण

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