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Silly Poet

My world changes it’s rhythm with the change in the tides that wash over your face The butterflies go wild in the times of plight when we...

क्या मैं कवि हूँ?

ऐहसासों को पिरो कर कुछ जता सकता हूँ कभी पूरा कभी अधूरा शब्दों के उतार चढ़ाव में लय को पहचान सकता हूँ, कही बात की बात को बता सकता हूँ सुनी...

परछाई

एक परछाई मन ने बनायी रौशनी उसे सामने लायी, छिपे तो अंधेरों में ख़याल हैं कितने देखो अगर तो प्यार है उनमें, लकीरों की गुज़ारिश सामने आयी...

छाप क्या

क्या कलम दवात क्या क्या है बात इत्तिफ़ाक़ क्या गहना है अगर जन—धन और लिबास बदन तो मन की आयिने पर छाप क्या। त

Silly Poem

I can abnegate promises of holy kingdom for you, it is no big deal, for a kingdom is a wasteland without the queen. I can melt my layers...

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Try as you may, to keep the bubble, of your frail existence, burst it will. Cosmeticize to your heart’s content, miseries and trophies of...

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