मिलनTJul 15, 20211 min read रंग जब पानी से मिलेतो ऐसी कुछ गुफ़्तगू हुई बयान दर्ज है पन्नों में इनहसीन शाम जो शुरू हुई।तरुण
क्या मैं कवि हूँ?ऐहसासों को पिरो कर कुछ जता सकता हूँ कभी पूरा कभी अधूरा शब्दों के उतार चढ़ाव में लय को पहचान सकता हूँ, कही बात की बात को बता सकता हूँ सुनी...
परछाईएक परछाई मन ने बनायी रौशनी उसे सामने लायी, छिपे तो अंधेरों में ख़याल हैं कितने देखो अगर तो प्यार है उनमें, लकीरों की गुज़ारिश सामने आयी...
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