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शांति

  • Writer: T
    T
  • Aug 4, 2021
  • 1 min read

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अगर आवाज़ में आभास है

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और लिखावट में अहसास है

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तो इस शब्द में ईश्वर का वास है


आप अगर कहेंगे की उन्हें कहाँ यहाँ ले आए?

यूँ तो हर शब्द में वो हैं समाए

शब्द ही क्या, शब्द के बीज में जो देखे वो पाए


यजमान दुरुस्त आपकी बात है

पर तरंग उस छवि की इसमें ख़ास है।


 
 
 
क्या मैं कवि हूँ?

ऐहसासों को पिरो कर कुछ जता सकता हूँ कभी पूरा कभी अधूरा शब्दों के उतार चढ़ाव में लय को पहचान सकता हूँ, कही बात की बात को बता सकता हूँ सुनी...

 
 
 
परछाई

एक परछाई मन ने बनायी रौशनी उसे सामने लायी, छिपे तो अंधेरों में ख़याल हैं कितने देखो अगर तो प्यार है उनमें, लकीरों की गुज़ारिश सामने आयी...

 
 
 
छाप क्या

क्या कलम दवात क्या क्या है बात इत्तिफ़ाक़ क्या गहना है अगर जन—धन और लिबास बदन तो मन की आयिने पर छाप क्या। त

 
 
 

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​तरुण

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